हमें प्यार का अब
सहारा चाहिये
ऐसा कोई हमको भी प्यारा
चाहिए
दगा को दवा में
तब्दील कर दे जो
ऐसा कोई हमको भी न्यारा
चाहिए
ख़ुदकुशी है करना
नहीं
हार के यूँ मरना
नहीं
प्यार का जुगनू भी
दिख गया
फिर किसी से डरना
नहीं
गैर बने जो उनका
बोझा क्यों ढोते
अपनों के भी हम
क्यों अरमा खोते
प्यास में कहीं भी
कोई भी जल मिले
प्यास के भी कोई न
रंग धर्म होते
मरने से सपने कहाँ
होते पूरे
रह जाते सब कुछ ही
बिखरे अधूरे
सो तुम दगा से लड़ो
और जीतो
फिर देखना दुःख रहें
दूरे – दूरे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
२२/०७/२०२०
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