यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 26 जून 2021

मेरे गीत दर्द के गायक

मेरे गीत दर्द के गायक

दर्द जिये हैं दर्द के लायक

जो भी हैं पीड़ा के अगुआ

उनके लिए ए हैं सुखदायक

 

हम किसान के भी बेटे हैं

गीत खेत में भी लेटे हैं

किसने किसने खेत चरा है

लिख लिखकर खुद ही मेटे हैं

 

जिसका लम्बा सा ये हल है

उसके दुःख का कोई हल है

पर मेरे गीतों के हल में

उसका छोटा सा इक हल है

 

मेरे गीत अकाल लिखे हैं

बाढ़ का त्रासद भाल लिखें हैं

कृषकों के झूठे भाषण पर

सरकारों के गाल लिखे हैं

 

धूल व ढेले मेरे सगे हैं

चिकने-चुपड़े देख भगे हैं

कोठी वाले क्या जानेंगे

मेड़ों पर मेरे गीत उगे हैं

 

दूब का गीत सुनाने वाले

आलू के संग खाने वाले

ठेंठ के ठाठ को सब ना समझें

समझें ऐसे गाने वाले

 

थोड़े से पर हीत मिलेंगे

कच्ची राह के मीत मिलेंगे

तुम्हें मिलाने ले जाऊँगा

गाँवों में मेरे गीत मिलेंगे

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२/०८/२०२०  

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