शहद से दिल को नीम
कर दिया
स्वर्ण कलश में जहर भर दिया
गंदे मन से प्रेम को
छूकर
अवसादों का प्रेम को वर दिया
रूप ने कितनी बार
छला है
सबसे छलिया उसकी कला
है
रूप में मनुज देव तक
उलझे
समझ सके ना कैसी बला
है
प्रेम का रूप कोई ना
देखा
सबने रूप के रूप को
देखा
रूप ने रूप में भरमा डाला
रूप का देखा सबने
देखा
भोले - भाले लुट जाते हैं
धड़कन-धड़कन टुट जाते
हैं
इस फरेब में पड़ के दिल
धक धक धक धक दुःख
पाते हैं
किसको-किसको कर दिया
घायल
किसके हिस्से आयी
पायल
सच्चे प्रेम का रूप
नहीं है
प्रभु जी सच्चे
प्रेम के कायल
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
०३/०८/२०२०
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