यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 26 जून 2021

रिश्तों में अब वार को गया

रिश्तों में  अब  वार को गया

प्रेम  भी  कारोबार  हो  गया

प्रेम को गुणा गणित कुछ समझें

एक  दिनी  अखबार  हो गया

 

प्रेम में हँसकर  दगा  कमाते

अपराधी    आरोप   लगाते

प्रेम में छलकर जीत समझते

व्यंग्य  भरी  मुस्कान सजाते

 

प्रेम तो होता हिय का लगाना

किन्तु थोड़ा मस्तिष्क लगाना

कर विश्वास सजग भी रहना

ख़ुद से ज्यादा  नेह  लगाना

 

छल फिर उतना नहीं खलेगा

ऐसे में हिय कम  ही जलेगा

छलिया प्रेम से उबर  सकोगे

ज्यादा से कम  वक्त लगेगा

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२/०८/२०२०

 

कुछ रिश्ते होते हैं चंदन

जैसे अपना रक्षाबन्धन

भाव सुरक्षा  का है पावन

भाई- बहन के नेह का बंधन     

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