रिश्तों में अब वार
को गया
प्रेम भी कारोबार
हो गया
प्रेम को गुणा गणित
कुछ समझें
एक दिनी अखबार
हो गया
प्रेम में हँसकर दगा कमाते
अपराधी आरोप लगाते
प्रेम में छलकर जीत
समझते
व्यंग्य भरी मुस्कान
सजाते
प्रेम तो होता हिय
का लगाना
किन्तु थोड़ा
मस्तिष्क लगाना
कर विश्वास सजग भी
रहना
ख़ुद से ज्यादा नेह लगाना
छल फिर उतना नहीं
खलेगा
ऐसे में हिय कम ही जलेगा
छलिया प्रेम से
उबर सकोगे
ज्यादा से कम वक्त लगेगा
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
२/०८/२०२०
कुछ रिश्ते होते हैं
चंदन
जैसे अपना
रक्षाबन्धन
भाव सुरक्षा का है पावन
भाई- बहन के नेह का
बंधन
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