मित्र से, भाई से,
पिता से, बहन से
मिला धोखा, आप की
आँखों में
लाता है आँसू, करता
है विचलित
फिर भी कुछ समय बाद
बढ़ जाते हैं उससे
आगे
किन्तु अपनी स्त्री
से मिला धोखा
आप को करता है विवश
अंदर से रोने को
जिसे कोई नहीं देख
पाता
स्वयं के सिवा,
नहीं कर पाते किसी
से साझा
यह आप को मार देती
है या
रह जाते हैं ज़िंदा
लाश सा
किन्तु इससे बच सको
तो
महान होने की प्रबल
संभावना
हो जाती है खड़ी,
चाहो तो
सत्यापन के लिए झाँक
सकते हो
इतिहास की खिड़की में
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
poetpawan50@gmail.com
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