लोग आते हैं लोग जाते हैं
कुछ ही हैं दिल में
जो ठहर जाते हैं
समय के साथ संवाद बढ़ता रहा
दोस्त उनमें से ही बन जाते हैं
दोस्ती जो करो पूर्णता में करो
बसात जो भी करो पूरे
दिल से करो
उनके अवगुण भी होंगे
स्वीकारो उन्हें
उनकी अच्छाइयों पर भी
चर्चा करो
खून से बढ़के भी एक रिश्ता यही
सबसे सस्ता यही सबसे
मँहगा यही
जिसने समझा इसे
जिन्दगी पार है
इसमें खुशियाँ बहुत
प्यार भी है यही
दोस्त आधे दुखों को
यूँ खा जाते हैं
दोस्तों के सहारे
ही छा जाते हैं
जिसको पाने में यूं
तो जमाने लगे
दोस्त होते हैं तो यूँ
ही पा जाते हैं
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें