यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 7 मार्च 2020

लोग आते हैं


लोग  आते   हैं   लोग   जाते  हैं
कुछ ही हैं दिल में जो ठहर जाते हैं
समय  के  साथ  संवाद बढ़ता रहा
दोस्त  उनमें  से  ही  बन जाते हैं

दोस्ती  जो  करो  पूर्णता  में   करो
बसात जो भी करो पूरे दिल  से करो
उनके अवगुण भी होंगे स्वीकारो उन्हें
उनकी अच्छाइयों पर भी  चर्चा करो

खून से बढ़के  भी एक  रिश्ता यही
सबसे सस्ता यही सबसे मँहगा यही
जिसने समझा इसे जिन्दगी पार है
इसमें खुशियाँ बहुत प्यार भी है यही

दोस्त आधे दुखों को यूँ खा जाते हैं
दोस्तों  के  सहारे  ही छा जाते हैं
जिसको पाने में यूं तो जमाने लगे
दोस्त होते हैं तो यूँ ही पा जाते हैं


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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