यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 1 मार्च 2020

प्यार में हमको


प्यार में हमको जो दिलजानी मिले
देश पे मरती  हो ऐसी  बानी मिले
दोनों का  प्रेम  भारत पे कुर्बान हो
उसकी लहरे चुनर  रंग धानी मिले

देशभक्ति की हमको  कहानी मिले
प्रेम में हमको  बस   मर्दानी मिले
राष्ट्रभक्ति के खातिर जो प्रेरित करे
माँ हमें झाँसी के जैसी रानी मिले

हमको केसरिया ओढ़े  दीवानी  मिले
उसके हाथों से ही हमको पानी मिले
मैं उसे प्रेम की भी  लिखूं  चिट्ठियाँ
उसमे भी राष्ट्र की  ही रवानी मिले

प्यार तो प्यार  है देश से पर अलग
राष्ट्र सेवा  की बस  जिंदगानी मिले
होने  को तो जवाँ  हैं  करोड़ों मगर
हमको शेखर भगत सी जवानी मिले


पवन तिवारी
संवाद  - ७७१८०८०९७८  

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