यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 1 मार्च 2020

तेरी खातिर ही लौट कर आये


तेरी खातिर  ही लौट कर  आये
तू जो देखे न तो क्यों कर आये
प्रेम  में  कितने   बेवकूफ  हुए
हमें खुशफ़हमी कि हम घर आये

जिसकी चर्चा में सुबह शाम किये
सारी यादें ही  जिसके नाम किये
जिसकी खातिर बहुत अपमान सहे
वही कहें कि सब अपने लिए काम किये

दाल  में  थोड़ा  ही  पर  घी  लेना
अपनी  खातिर  भी  थोड़ा  पी लेना
ऐसा  ना  हो  कि   पछताना  पड़े
थोड़ा  अपने  लिए  भी  जी  लेना

प्यार  में  भी  बनाये  हद  रखना
हर  जगह  अपनी थोड़ी जद रखना
प्यार में झुकना  अच्छी बात मगर
अपनी नजरों  में अपना क़द रखना



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८  


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