तेरी खातिर ही लौट कर आये
तू जो देखे न तो
क्यों कर आये
प्रेम में कितने बेवकूफ हुए
हमें खुशफ़हमी कि हम
घर आये
जिसकी चर्चा में
सुबह शाम किये
सारी यादें ही जिसके नाम किये
जिसकी खातिर बहुत
अपमान सहे
वही कहें कि सब अपने
लिए काम किये
दाल में थोड़ा
ही पर घी लेना
अपनी खातिर भी थोड़ा
पी लेना
ऐसा ना हो कि पछताना पड़े
थोड़ा अपने लिए भी जी लेना
प्यार में भी बनाये हद
रखना
हर जगह अपनी थोड़ी जद रखना
प्यार में झुकना अच्छी बात मगर
अपनी नजरों में अपना क़द रखना
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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