यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 1 मार्च 2020

गावै के त गावै - अवधी गीत


गावै के त गावै सब होठ अ  कमरिया
गावै के त गावै सब कमसिन उमरिया
के गाई लजिया औ माई के  चरनियाँ
लोकगीत गीतन कै कइसे रही रानियाँ

गलवा त गावत बाटें गावत बाटें छतिया
के  गाई  पचरा    खेतिया के बतिया
सेजिया के बतिया  औ गरम  जवनियाँ
के  गाई  कजरी  जी  निर्गुन  होमियाँ

देहियाँ के रोंवाँ रोवाँ गई के अघाई गइनै
लोकगीत के  बाकी  आत्मा रुलाई गइनै
अपने ही मटिया के गरिमा लुटाई गइनै
रुपिया के चक्कर में इज्जति बिकाई गइनै

लोक गितिया के भइया चिरिया बचाई लेता
कहु त  किसनवन  के  दुखवा गवाई लेता
गाई  लेता  गेना  फूल  अमवा के बगिया
माघ मेला  निबिया के पतिया गवाई  लेता 
 

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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