तेरी आँखों में मैं
तो डूब गया
खुद से ऊबा था बहुत
खूब गया
तेरी आवाज़ बाँसुरी
सी लगे
छू दे गर तू तो झुरझुरी
सी लगे
आँख तुझ पर टिके तो
खो जाऊं
तेरी तिरछी नज़र छुरी सी लगे
तुझपे जितना कहूँ वो
कम होगा
तेरी आंखों में मैं
तो डूब गया
तेरा यौवन है एक सुंदर वन
देख तुझको खिले मेरा यौवन
तेरे गालों के
द्वीप देखूँ तो
झूले सा झूलने
लगे ये मन
तेरे अधरों की
धारियाँ आरी
तेरी आखों में मैं तो डूब गया
तेरी अलकें हैं
डोरियाँ
रेशम
आँखें गहरी हैं नर्मदा से न कम
तुझसे मिलते ही
भूलें हैं सब गम
तेरा व्यक्तित्व ऐसा है आला
मुझे है याद क्या–क्या
भूल गया
तेरी आँखों में मैं तो डूब गया
जितना बोलूँ कि लगे
कम बोला
देखते ही तुझे
अधर डोला
कितना कुछ बोल गया
याद नहीं
लगे ऐसा कि खुद को
कम खोला
तू ही भाये कि जग से
ऊब गया
तेरी आखों में मैं तो डूब
गया
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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