यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 12 मार्च 2020

बम्मई में जाके सइयां - अवधी गीत


बम्मई में जाके  सइयां  रिक्सा चलावै न
किसिम-किसिम के औरत वहमें घुमावैं न
जहियो हम फून लगाई वनसे बतियावै के
किसिम-किसिम के हमसे बहाना बनावैं न

अब त दुई - दुई साल  घरहूँ न आवै न
पुछले पे झंझट  अउर  करजा बतावै न
पहिले त सालि भर में कइयो बार आवें ऊ
टिकट नाही मिलले  कै बहाना लगावै न

सुनले में आयल हउवै चक्कर चलावै न
कवनो  ऊ गोर  मेम के खूबै घुमावै न
हम तनकी साँवर बाटी बाकी त सुन्नर हो
हमरो पीछे बहुत जने चक्कर लगावै न

अबकी जौ  साफ़-साफ़  नाहीं बतइहैं हो
साल भर में दुई बार घर नाहीं अइहैं हो
तिरिया  चरित्तर तब  हमहू देखाइब हो
हमरो कहानी टोला भरि मिलि सुनइहैं हो



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८  

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