बम्मई में जाके सइयां रिक्सा चलावै न
किसिम-किसिम के औरत वहमें
घुमावैं न
जहियो हम फून लगाई
वनसे बतियावै के
किसिम-किसिम के हमसे
बहाना बनावैं न
अब त दुई - दुई साल घरहूँ न आवै न
पुछले पे झंझट अउर करजा
बतावै न
पहिले त सालि भर में
कइयो बार आवें ऊ
टिकट नाही मिलले कै बहाना लगावै न
सुनले में आयल हउवै
चक्कर चलावै न
कवनो ऊ गोर मेम
के खूबै घुमावै न
हम तनकी साँवर बाटी
बाकी त सुन्नर हो
हमरो पीछे बहुत जने
चक्कर लगावै न
अबकी जौ साफ़-साफ़
नाहीं बतइहैं हो
साल भर में दुई बार
घर नाहीं अइहैं हो
तिरिया चरित्तर तब हमहू देखाइब हो
हमरो कहानी टोला भरि
मिलि सुनइहैं हो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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