यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

तुम मुझे छोड़कर


तुम मुझे छोड़कर जो चले जाओगे
तो बताओ ज़रा  कि कहाँ जाओगे
जाते-जाते बस इतना बता जाओ तुम
नहीं आओगे या कब तलक आओगे

याद रखना मेरे  गीत ही गाओगे
शायद ऐसा हो जाए कि पछताओंगे
प्यार बाज़ार की चीज है ही नहीं
सोच लो लौट करके यहीं आओगे

अपने ज़ुल्मों सितम तुम कहाँ ढाओगे
नज़र आऊँगा मैं तुम जिधर  जाओगे
मेरे  जैसा  अकेला  फ़क़त मैं ही हूँ
मेरे  जैसा   बताओ  कहाँ  पाओगे

ठीक है  सच  बताओ नहीं  आओगे
पास  मेरे   दुबारा   नहीं  आओगे
फिर चले जाओ तुमसे शिकायत नहीं
पर हो बदमाश यादों में  तो आओगे



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८  



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें