याद आयेंगे बहुत आयेंगे
जब भी आयेंगे दिल जलायेंगे
वैसे मैं हार करके जीती थी
अब तो बस वो ही जीत
जायेंगे
दिन पुराने बड़े
हसीन रहे
उन दिनों को भुला
क्या पायेंगे
उनमें शामिल थे मेरे
भी हिस्से
मेरे हिस्से को
छोड़ पायेंगे
कि हर चर्चा में
दोनों का हिस्सा
एक किस्से में दोनों
का किस्सा
दोनों मिल एक रहे थे
जब तक
एक बीघे के दोनों थे
बिस्सा
एक जिद ने ही तोड़ा
रिश्ता था
उससे पहले ये इक
गुलिस्ता था
कौन झुकता है यही बात अड़ी
उससे पहले तो सब
फ़रिश्ता था
बीते दिन लौट नहीं आयेंगे
उन दिनों के ख़याल आयेंगे
दिल अभी भी है यही
मान रहा
देर से ही सही वो आयेंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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