यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

हंस है वाहन..... सवैया


हंस है वाहन बुद्धि प्रदायिनी, वत्सल  नेह  की मूरति  माता
इनकी शरण में जो भी आये ज्ञान का पुण्य  अशीष है पाता
करुणा की सागर शांति की देवी हैं, इनके अशीष से पूज्य हो जाता
मूरख  कालीदास  हो  जाता, जो  भी मातु  शरण में आता

मन  उज्ज्वल  है  तन  उज्ज्वल  ऐसी अपनी  बुद्धि की माई
मान  मिला  सम्मान  मिला  जिनके  घर द्वार  शारदा आई
मातु की महिमा जग विख्याता है सुर नर मुनि सब ने है गाई
मातु सरस्वती शत शत नमन है आप ने ज्ञान की ज्योंति जलाई

शब्द की देवी कृपा जो करैं, कविता  सविता सा प्रकाश करे हैं
शारदा माई में चित्त लगाये जो, तुलसी  सूर सा  नाम परे है
निर्मल मन  से  ध्याये उन्हें, तब वेद  पुराण का  कंठ धरे है
स्वर  संगीत कला  दमकै, जेहि  पर  माई  के  नेहि  झरे है


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८



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