किसी को चाहना
या जग को चाहना
कि मिट्टी और
खुशबू को चाहना
चाहना प्रकृति को
चाहना किसी वस्तु को
चाह धन की भी
और भी बहुत कुछ
चाहना
किन्तु चाहना स्वयं
को
इससे बेहतर चाहत
और कुछ नहीं
जीना और जिंदादिल से
तो बस एक ही रास्ता
स्वयं को चाहना
और चाहते जाना
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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