यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

अंजलि लाल जी लाल- सवैया


अंजलि  लाल जी लाल  हुए जब लाल को देखि लगे  ललचाने
मातु से  आयसु  पाये जो लाल तो लाल की ओर बढ़े सर ताने
लाल जो  लाल  को धाय पड़ो तब  देखि के देव लगे  घबराने
लाल जो लाल को लील लियो तब छोटो सो लाल लग्यो हरसाने

लाल ने लाल ही लील लियो तब जग भर में फैलो अधिंयारो
देव दनुज मानव  सब धायो  इंदर  जी  कुछ  मार्ग निकारो
लाल को लाल बिना समझे  तब इंदर लाल को बज्र से मारो
लाल को देखि के लाल भयो तब वायु ने आपन क्रोध बघारो

वायु ने वायु को  थाम  लियो सब धाय पड़े प्रभु हाय उबारो
वायु कहे तब  वायु  चले जब लाल का मेरो जी भाग सँवारो
शेष  धनेश  सुरेश  महेश  सबै  मिलि वायु के लाल दुलारो
रिद्धिहि सिद्धिही सब गुणखान जी आसिस पे आसिस से वारो

ऐसे प्रतापी  मेरे  हनुमान जी जग  भर में  कीरति  फैलायो
राम जी राम भयो  तबहीं हनुमान जी राम के साथ में आयो
नाग की  पास हो या संजीवनि  संकट  से  हनुमान बचायो
ऐसे सकल गुणखान प्रभू जी को कोटिन कोटिन सीस नवायो



पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८


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