अंजलि लाल जी लाल हुए जब लाल को देखि लगे ललचाने
मातु से
आयसु पाये जो लाल तो लाल की ओर बढ़े सर ताने
लाल जो लाल को
धाय पड़ो तब देखि के देव लगे घबराने
लाल जो
लाल को लील लियो तब छोटो सो लाल लग्यो हरसाने
लाल ने
लाल ही लील लियो तब जग भर में फैलो अधिंयारो
देव
दनुज मानव सब धायो इंदर जी
कुछ मार्ग निकारो
लाल को
लाल बिना समझे तब इंदर लाल को बज्र से
मारो
लाल को
देखि के लाल भयो तब वायु ने आपन क्रोध बघारो
वायु ने
वायु को थाम लियो सब धाय पड़े प्रभु हाय उबारो
वायु
कहे तब वायु चले जब लाल का मेरो जी भाग सँवारो
शेष धनेश सुरेश
महेश
सबै मिलि वायु के लाल दुलारो
रिद्धिहि
सिद्धिही सब गुणखान जी आसिस पे आसिस से वारो
ऐसे
प्रतापी मेरे हनुमान जी जग भर में कीरति
फैलायो
राम जी राम
भयो तबहीं हनुमान जी राम के साथ में आयो
नाग की पास हो या संजीवनि संकट से
हनुमान बचायो
ऐसे सकल
गुणखान प्रभू जी को कोटिन कोटिन सीस नवायो
पवन
तिवारी
संवाद -
७७१८०८०९७८
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