अपनी मर्जी से जीने
के मोल चुकाने होंगे
अपनों से मिलने वाले
भी घाव भुलाने होंगे
अपनी शर्तों पर जीना
आसान कभी भी रहा नहीं
हँस – हँस क र संघर्षों के हर भार उठाने होंगे
अपने रिश्ते अपने को
ही बढ़ के बचाने होंगे
पीड़ा में भी
मुस्काकर हमें गीत सुनाने होंगे
कितनी परीक्षाएँ कब
कैसे और किसे देनी पड़ जाय
ऐसे में अपमानों
वाले सारे घूँट जलाने होंगे
कई बार इक तरफा ही रिश्ते
तुम्हें निभाने होंगे
खुद को ही खुद
नैतिकता के सारे पाठ पढ़ाने होंगे
भाई - बहन और भी रिश्ते तोड़
के जायेंगे
ऐसे भी हालात बनेंगे
तुमको कदम बढ़ाने होंगे
जिद के साथ धैर्य व
साहस वाले अस्त्र जुटाने होंगें
अपनी जरूरतों के
गुल्लक थोड़े बहुत घटाने होंगे
ऐसे में मधुमास को
चल के पास तुम्हारे आना होगा
गरिमा आ जाने पर निज
से निज के शीश झुकाने होंगे
जाने कितने लोग
तुम्हारे पैताने सिरहाने
होंगे
तुम पर मिटने वाले
अनगिन हँसते हुए परवाने होंगे
दोनों हाथ उठाकर जग अभिवादन करने आएगा
ऐसे क्षण में भी बैरी के दुःख तुमको सहलाने होंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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