यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

अपनी मर्जी से जीने के मोल चुकाने होंगे


अपनी  मर्जी  से  जीने  के मोल  चुकाने होंगे
अपनों  से  मिलने  वाले भी घाव  भुलाने होंगे
अपनी शर्तों पर जीना आसान कभी भी रहा नहीं
हँस – हँस  क र संघर्षों के हर  भार उठाने होंगे

अपने रिश्ते अपने को ही बढ़ के बचाने होंगे
पीड़ा में भी मुस्काकर हमें गीत सुनाने होंगे
कितनी परीक्षाएँ कब कैसे और किसे देनी पड़ जाय
ऐसे में अपमानों वाले सारे घूँट जलाने होंगे

कई बार इक तरफा ही रिश्ते  तुम्हें  निभाने होंगे
खुद को ही खुद नैतिकता के सारे पाठ पढ़ाने होंगे
भाई - बहन  और  भी  रिश्ते  तोड़  के  जायेंगे
ऐसे भी हालात बनेंगे तुमको  कदम  बढ़ाने  होंगे

जिद के साथ धैर्य व साहस वाले अस्त्र जुटाने होंगें
अपनी जरूरतों के गुल्लक  थोड़े बहुत घटाने  होंगे
ऐसे में मधुमास को चल के पास तुम्हारे आना होगा
गरिमा आ जाने पर निज से निज के शीश झुकाने होंगे

जाने  कितने  लोग  तुम्हारे  पैताने  सिरहाने होंगे
तुम पर मिटने वाले अनगिन हँसते हुए परवाने होंगे
दोनों हाथ  उठाकर  जग अभिवादन  करने आएगा
ऐसे क्षण में भी  बैरी के दुःख  तुमको सहलाने होंगे

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८      

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