यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

सोचना !


सोचना !
सोचकर करते जाना,
या करते जाना विचारते हुए;
जीवन है.
मात्र विचारना या
मात्र करते जाना,
विचार के बिना,
हो सकता है घातक;
सम्पूर्णता में,
कोमल जीवन के लिए.

कर्ता,क्रिया,कर्म के
समन्वय से भी,
कई बार नहीं मिलती
जीवन को गति;
बिना ध्येय !

व्यस्त जीवन
बड़ा जीवन
हो सकता है छुद्र
सार्थक जीवन के सम्मुख


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८ 

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