सोचना !
सोचकर करते जाना,
या करते जाना
विचारते हुए;
जीवन है.
मात्र विचारना या
मात्र करते जाना,
विचार के बिना,
हो सकता है घातक;
सम्पूर्णता में,
कोमल जीवन के लिए.
कर्ता,क्रिया,कर्म
के
समन्वय से भी,
कई बार नहीं मिलती
जीवन को गति;
बिना ध्येय !
व्यस्त जीवन
बड़ा जीवन
हो सकता है छुद्र
सार्थक जीवन के
सम्मुख
पवन तिवारी
संवाद –
७७१८०८०९७८
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