हैं गीत के राज
कुमार गवावैं मोरे सइयाँ
जी सुबह सुबह दरबार
लगावैं मोरे सइयाँ
हम दुल्हिन नयी
नवेली
यनकै घर भूत
हवेली
हम कइसे करी यन्हें प्यार
सतावैं मोरे सइयाँ
ई भूतन कै सरदार
सतावैं मोरे सइयाँ
हम बार – बार गोहराई
अइसन जिनि हमैं कराई
पर सुनै न मोर
हजार
नचावैं मोरे सइयाँ
हैं नचनियों के यार
नचावैं मोरे सइयाँ
दिनवों में खूबै
घूमैं
अउ राति में पी के
झूमैं
ई कइसन मर्द हमार
गवावैं मोरे सइयाँ
अरे दारू पी के यार
गवावैं मोरे सइयाँ
ई खुद त हवैं बताशा
औ हमसे राखैं आशा
ऊपर से करैं तकरार
फंसावैं मोरे
सइयाँ
ई रोज मचावैं रार
फंसावैं मोरे सइयाँ
सासू कै
बड़ा दुलारा
ननदी के आँख क तारा
झूठै खायें मोसे
खार
रिझावें मोरे सइयाँ
ई अभिनय से हर बार रिझावें
मोरे सइयाँ
ई हचकि भचकि के
नाचैं
सीसा में खुदि के
जाँचैं
हम काव करी
सिंगार
चिढावें मोरे सइयाँ
ई नेटुवन के हैं यार
चिढ़ावें मोरे सइयाँ
जी लम्बा लम्बा
घूँघट
कइसे चली हम झटपट
वहपे कहैं चला
झार
खिझावैं मोरे सइयाँ
ई मरद हैं लम्बरदार
खिझावैं मोरे सइयाँ
ई मीठ-मीठ बतियावैं
यन्हैं सबही गरियावैं
ई गाँव भरे कै सार
कहावैं मोरे सइयाँ
ई मेहरा बरखुर्दार कहावैं
मोरे सइयाँ
देवरू कै सकलि है
बानर
देखैं नै जइसे
आन्हर
हम कइसे करी दुलार
बतावैं मोरे सइयाँ
जी सगरो दोस हमार बतावैं
मोरे सइयाँ
जब देखा मारा – मारी
औ बाति–बाति पे गारी
ई लंठन कै
सरदार
थुकावैं मोरे सइयाँ
ई देखै ना घर द्वार थुकावैं
मोरे सइयाँ
ई नौकर हैं सरकारी
‘यस सर’ कै है
बीमारी
घरहूँ में इहै ब्यवहार
करावैं मोरे सइयाँ
मनमानी ही सब कार करावैं मोरे सइयाँ
जेही मिलै तेहि तारैं
बहिनियों पे रंग
डारैं
जी बिगड़ा हुआ भतार
कहावैं मोरे सइयाँ
ई सोहदा दंतचियार कहावैं
मोरे सइयाँ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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