यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

सारे जतन


सारा  जतन  मुझे  करना है
तड़प है बस तुमसे मिलना है
मैं ही  केवल  प्रेम में पागल
या तुम्हें  भी सूली  चढ़ना है

आग  यहाँ  पर लगी  हुई है
क्या तुम में भी  जगी हुई है
ऐसा  कभी विचार  न लाना
क्या दिल से कुछ ठगी हुई है

जब से दूर हुआ उर  से  उर
हिय में बहे हवा झुर झुर झुर
बिछुड़न का आनन्द अलग है
उखड़े मन तो  बोले चुर  चुर

इस दुःख में  आनन्द  बड़ा है
सच्चा प्रेम सो तन के खड़ा है
अबकी मिले तो  मिल जायेंगे
देख  रहे  सब  प्रेम  अड़ा है

तुम विश्वास  बनाए  रखना
प्रेम का दीप  जलाए  रखना
अधिंयारे  सब  जल  जायेंगे
हौंसला सर पे उठाये  रखना

साथ  साथ  हमको  जीना है
बैरी  जाने   क्या   मरना है
प्रेम तो प्रभु का प्रिय स्वरुप है
अपना  ध्येय  प्रेम  करना है


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८   

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