उन्हें क्या कदर
होगी बातों की
जो समझते भाषा फ़क्त
लातों की
जो चल रहा है वही
बड़ा मुश्किल है
और तुम बात कर रहे
हो यादों की
तुम्हें क्या पता
इश्क के बारे में घंटा
तुम बस गिनती करो
अपने खातों की
इस सर्दी की नज़र है
फुटपाथों पर
मुझे चिंता है
उसके रातों की
जिन्हें पइसा
ही माई बाप लगे
उन्हें है क्या
कदर जज्बातों की
वे तो
बाज़ार में खड़े हैं पवन
उन्हें क्या
समझ रिश्ते नातों की
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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