तू क्या सोचा घर जायेंगे
तुझसे बिछड़ के मर
जायेंगे
बहुतों के जी रूप सुनहरे
अंदर देख के डर जायेंगे
सच में प्रेम हुआ जो
उनको
हमको छोड़ किधर जायेंगे
हम आवारा दूजे किसिम के
हम किसी और नगर
जायेंगे
सब राही हैं शेष झूठ है
आगे पीछ गुजर जायेंगे
प्रेमी प्रेम नगर जायेंगे
कहेंगे नहीं मगर जायेंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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