तुम्हें मैं क्यूँ
आवाज़ देता हूँ
सोचता हूँ क्यूँ साथ
देता हूँ
देश का तो मैं दे नहीं
सकता
चलो अपना ही राज देता हूँ
भरोसा ही कोई नहीं देता
तुम्हें अपनी मैं बात देता हूँ
बुझ चुके हो तुम जो अन्दर
से
आओ तुमको मैं आग देता हूँ
थक गये हो तुम बहुत
दिन से
आओ तुमको मैं रात देता हूँ
फक्कड़ी हो गयी हो तो
आओ
तुम्हें स्थायी साथ देता हूँ
तुम्हारा मसअला सुलझा
हो अगर
आओ कुछ और प्यार देता
हूँ
अकेलेपन से भर गया
हो दिल
पवन आओ खुमार देता हूँ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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