उसे बुलाओ पुनः सुनाओ
कहता कौन कि डर
जायेंगे
रोम – रोम ने पीड़ा भोगी
फिर भी बना नहीं ये
योगी
राष्ट्र के आगे पीड़ा
क्या है
हम हैं देश प्रेम के रोगी
हम तो भय से परे जा
चुके
बहुत हुआ तो मर जायेंगे
हर युग
में गद्दार हुए हैं
पीछे से
भी वार हुए हैं
फिर भी वीर हटे ना
पीछे
लड़ते – लड़ते पार हुए हैं
जिद की अपनी महिमा
है
करते – करते कर
जायेंगे
आपस में
लड़ना छोड़ेंगे
घुट- घुट के मरना
छोड़ेंगे
छोटा – बड़ा व तेरा मेरा
कब ये सब करना
छोड़ेंगे
रहे एक जो मिल करके
हम
फ़तह आसमां कर
जायेंगे
राष्ट्र रहा तो ही हम होंगे
कहीं रहो थोड़े
गम होंगे
निज पर यदि विश्वास
रहा तो
कहीं भी रहे हम
हम होंगे
बात उठी भारत हित की
तो
उसके लिए प्रति घर जायेंगे
गीत देश के
हम गायेंगे
कुर्बानी को
भी आयेंगे
दुश्मन की छाती पे नहीं
मस्तक पे तिरंगा
फहरायेंगे
भारत पर मरने वाले तो
बिन गंगा के तर जायेंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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