अबकी मिलो तो ऐसे कि
मुझे तर कर दो
मुझमें इस कदर घुलो कि शरबत कर दो
तुम्हारे प्यार के मैंने बहुत से किस्से सुने
अब जो मेरी कहती हो
तो दस्तखत कर दो
ठीक है कोई नहीं तुम
मुझे पढ़ना चाहती हो
ऐसा करो कि
तुम मुझे पहले ख़त कर दो
मुझे बदनाम ही करना है ना बस इतना भर
तो सुनो ऐसा करो कि प्यार में हद कर दो
दूरियों से प्यार बढ़ता है ठीक है मान लिया
तो ऐसा करो इस
बार मिलना रद्द कर दो
हक़ अदा किया अच्छा
किया अब जिम्मेदारी
क्या खूब हो गयी तो थोड़ी मजम्मत कर दो
बातें बड़ - बड़ शोर-गुल इधर - उधर बहुत हुआ
अच्छा तो बुलाऊं
खामोशियों को इनायत कर दो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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