मेरे गीत अधर के
प्यारे
हर प्रेमी के उर के
दुलारे
मिला सिंहासन प्रेम
का इसको
मेरे मीत नहीं
बंजारे
जो हैं प्रेम के
मारे – मारे
गाते रहते गीत हमारे
प्रेमी को सम्बल देते हैं
ऐसे गीत हमारे न्यारे
प्रेम पुकारे आरे - आरे
गीत मेरा तू हम हैं
तिहारे
साथ मिलें जो दुःख
भी सुख हो
प्रेमी नैनों के हम
तारे
गीत मेरे निर्बल के
सहारे
गाये माझी नदी के
किनारे
श्रमिक किसान की
पीड़ा हर ले
सब गाते हैं तू भी गा रे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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