यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 27 जुलाई 2019

मेरे गीत अधर के प्यारे


मेरे गीत अधर के प्यारे
हर प्रेमी के उर के दुलारे
मिला सिंहासन प्रेम का इसको
मेरे  मीत  नहीं  बंजारे  

जो हैं प्रेम के मारे – मारे
गाते  रहते  गीत  हमारे
प्रेमी को  सम्बल  देते हैं
ऐसे  गीत  हमारे  न्यारे

प्रेम  पुकारे   आरे - आरे
गीत मेरा तू हम हैं तिहारे
साथ मिलें जो दुःख भी सुख हो
प्रेमी  नैनों  के  हम तारे  

गीत मेरे निर्बल  के सहारे
गाये माझी नदी के किनारे
श्रमिक किसान की पीड़ा हर ले
सब  गाते हैं तू  भी गा रे



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत




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