उसने क्या दोस्त
कहा और हमने मान लिया
फरेब रिश्ते में यूँ दोस्त ने ही जान लिया
जितने भी वादे किये हँस के फिर तोड़ दिए
उसने विश्वास को
नाचीज़ सा सामान लिया
होगी बेअदबी बड़ी
उसको फ़क़त दोस्त कहूँ
क़ुसूर मेरा मगर
उसने सब अपमान लिया
अपनी चाहत उसने इस कदर वीरान किया
मुझे घर देके मगर
ख़ुद तो बस मकान लिया
इस क़दर प्यार से
मुझको बड़ा मकान दिया
और चुपचाप उसने इश्क की दुकान लिया
वो नहीं लड़ सका तो
प्यार से बर्बाद किया
प्यार सबसे बड़ा
हथियार पवन मान लिया
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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