यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 24 मार्च 2019

उसको मिली थी इज्जतें


उसको  मिली थी  इज्जतें जिन्दगी के बाद
समझा वो पूरी जिन्दगी को बेखुदी के बाद

जब तक खुदा से दूर था तब तक था आदमी
खुद  ही  ख़ुदा वो हो गया अब बंदगी के बाद

पानी से ही बुझ जाती अगर प्यास होती तो
हैवानियत  बढ़ी  थी  उसमें तिश्नगी के बाद  

बेटे  से  आगे बेटी को देखा तो लगा आज
मौसम है आया अच्छा  जैसे सदी के बाद

बीमार था सब जानते थे पर सभी चुप थे
बाद  सब  दौड़े के ज्यों सूखी नदी के बाद

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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