उसको मिली थी इज्जतें
जिन्दगी के बाद
समझा वो पूरी
जिन्दगी को बेखुदी के बाद
जब तक खुदा से दूर
था तब तक था आदमी
खुद ही ख़ुदा वो हो गया अब बंदगी के बाद
पानी से ही बुझ जाती
अगर प्यास होती तो
हैवानियत बढ़ी थी उसमें
तिश्नगी के बाद
बेटे से आगे बेटी को देखा तो लगा आज
मौसम है आया
अच्छा जैसे सदी के बाद
बीमार था सब जानते
थे पर सभी चुप थे
बाद सब दौड़े के ज्यों सूखी नदी के बाद
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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