ह्रदय गीत का वो
प्रेमी है जिसको सुनकर है खो जाता
मेरे गीतों को सुन
करके बिन मौसम मधुमास भी आता
यूँ ही गीत नहीं मेरे हैं ये हिय के मधुकोष से उपजे
मेरे गीत जो सुन
लेते तो बिना कहे कुछ प्रेम हो जाता
मेरे गीत बांसुरी
के सुर और भौंरों के गुंजन हैं
प्यास अधर के
मेरे गीत हैं और आँखों के अंजन हैं
हिय के अंतरतम
भावों को स्पन्दित
करने वाले
मेरे गीत परम
पावन हैं प्रेम
के सच्चे नन्दन हैं
पुण्य फले हैं कई जन्म के तब जाकर मेरे गीत हुए
बहुत दुलारा, सेवा की है तब जाकर मेरे मीत हुए
शब्दों की माया
रचने से गीत नहीं पैदा होते
पावन मन के भाव जो
बहके शब्द लिपट कर गीत हुए
लिख देना भर
गीत नहीं हैं भावों की ये साधना है
करुणा प्रेम पक्ष है
इसका हिय की ये आराधना है
हिय के सोये
तारों को भी जो स्पन्दित कर जाए
वो ही पावन गीत जगत का उर की वही उपासना है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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