यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

घर दुआरी खेती बारी - अवधी रचना



घर   दुआरी , खेती  बारी , सगरो रिस्तेदारी   बाबू
माँगै  ख़ूब पसीना जमिके  औ दिल में खुद्दारी  बाबू

बाबू भइया ,  दीदी  बहिनी प्रेम से बसै पियारी बाबू
नेह, दुलार मिली सबही कै, मन के रखा पुजारी बाबू

यनकै  उख्खुड़ि , वनकै चन्ना काका कै तरकारी बाबू
ई कुलि लच्छन ठीक नाय है चोरी अउर चकारी बाबू

एके द्वापर जिनि समझ्या बन्यौ न तू गिरधारी बाबू
 
कलयुग   मैरीकॉम  हइं , जुल्फ़ी  उठी  उखारी बाबू

सबकै आपन चीज कीमती, कसम तुन्है महतारी बाबू
एक तुरुनवों  हीरा हउवै , समझा  मत सरकारी बाबू

अपने  मेहनत से चमकावा  आपन खेती बारी बाबू
किसमति कोसले कुछ ना होई, केतनो देबा गारी बाबू

कपड़ा-लत्ता से जिनि आंक्या केहु कै इज्ज्तदारी बाबू
कोटि-पैंट में भी मिलि जानै एक-से-एक भिखारी बाबू


पवन तिवारी
संवाद ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com



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