तुम  बुलाओगी  तो मैं चला आऊँगा 
जाना  तो  चाहता
लौट पर आऊँगा 
तुम जरा प्रेम का एक
सहारा तो दो  
अपने घर में ही समृद्धि
मैं उपजाऊंगा 
यह  गृहस्थी  तुम्हारे बिना कुछ नहीं 
तुम ही लक्ष्मी तुम्हारे
बिना कुछ नहीं 
प्रेम की शक्ति जिसको भी
मिलती रहे 
लाखों दुख उसके खातिर भी
हैं कुछ नहीं 
एक  दूजे  के
 दुख ग़र हमारे रहे 
सारे दुख बनके सुख तब
हमारे रहे 
फिर तो दुनिया में किस
की ना परवाह रहे 
हम  तुम्हारे  रहे  तुम
 हमारे रहे 
आओ इक दूजे के आंसू पी लें
प्रिये
सात  जन्मों से जैसे हो साथ जिये 
साथ  छूटे  नहीं
 मौत के बाद भी 
हो सफर अपना हाथों में
हाथ लिये
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८ 
 
 
 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें