जो जैसा है उसका किरदार
बोलता है
पहली नजर में ही घर
द्वार बोलता है
झूठे को
कई बार है सोचना पड़े
सच ही है बेधड़क हर बार
बोलता है
निर्धन को कभी धन देता
नहीं सम्मान
गरीब ही हर बार सरकार बोलता है
गद्दार भी हो
सकते हैं मीठी
जुबान
में
कड़वी जुंबा सुबह फकत
वफादार बोलता है
संकट के समय आकर जो हो
सामने खड़ा
उसमें ही बसा समझो सरदार बोलता
है
जब कभी भी प्यार का होता
है इम्तिहान
ऐसे में सदा उसका एतबार बोलता है
लब पर
बंदिशें जब हजार हों पवन
ऐसे में बात आँख का
इजहार बोलता है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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