दुश्मनी की जो लगी आग बुझायी जाए
प्यार की आग चलो दिल में
जलाई जाए
यूँ तो लाखों हैं आपस में
लड़ाने वाले
मित्र हैं तो सुलह की
बात सुझायी जाए
बहुत रुठा है
उसे शब्द से
बहलाएंगे
प्यार की उसको ग़ज़ल आज
सुनायी जाए
हवा में आज-कल नफरत की गंध
तैर रही
फिज़ा में आज चलो
खुशबू फैलायी जाए
बातों - बातों में हर बात सुलझ
जाती है
होठों पर प्रेम की कुछ बूँद सजायी जाए
हवा भी चुप गीत भी चुप
सभी गमगीन हुए
ऐसे में “पवन”
को आवाज लगायी जाए
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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