देने को दे ही देता
है वादे हजार वो
हो वादा जब निभाना तो
कहते बहार वो
वादों पे ही ये जिंदगी कटती
चली गयी
कहते रहे निभाऊंगा मैं बार - बार वो
रिश्तो में खास बात जो
मालूम सभी को है
मौके पर ना आए कभी बने वफादार वो
अब दोस्तों की झूठी
पैरवी करूँ क्या मैं
संकट में जब भी खोजता
मिलते बाजार वो
जितने अमीर दोस्त थे
बहाने में खप गए
बस गरीब संग रहा
सच्चा यार
वो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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