यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 30 जनवरी 2019

सरसों फुलाई गइनी- अवधी गीत


सरसों फुलाई गइनी मटर गदराई गइनी
हरे – हरे पतवा से खेतिया तोपाई गइनी
अलुआ खनाये लागल उखुड़ी पेराए लागल
सनई के देंहिया में घुँघरू टंगाये लागल


क्यारी- क्यारी खेत बारी चारो ओर हरियाली
एक हमही सूखल जात बाटी मोर सजनवा


मकर संकरान्ति कै बीति गै नहनवाँ
दाना भेली खिचड़ी कै बीतल मौसमवाँ
चनवो में नील फूल तीसी चोनराइल
बथुवा भी खेतवा में गईल उधिराइल


काव - काव कही हम अउर का बताई
धनिया के पतिया खोंटाले मोर सजनवाँ


तोंहके अगोरि गयल साग रिसीयाई
सकपहिता रिसी में गयल बसियाई
तोंहके अगोरि के रजइयो  बुढ़ाइल
दुअरे कै गेंदा फूल गयल मुरझाइल


जाड़ा जवानी कै चानी मौसमवां
झख मारि बीतल जात बाटै मोर सजनवां


घमवा चहकि उठे अमवा बउरि उठे
महकत फुलवन पे भंवरा बहकि उठे
होली नियराई गइल सियरो रंगाई गइल
बुढ़वन के चेहरन पे होली उधिराई गइल


फाग कै रगिया त कनवा सुनाई गइल
तू कहिया गइबा मोरे संग मोर सजनवाँ


जेठ - जेठनियों कै मन बउराइल
छोटे-छोटे लड़िकन कै मन उधिराइल
देवरू त लागत हउवें पूरा पगलाइल
ससुरो कै मन लागत हउवै ललचाइल


अइसे में हमसे रहाइस न होला
आवा अपने रंग में रंगावा मोर सजनवाँ
बाटी गोहरावत चलि आवा मोर सजनवाँ

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८



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