यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 10 जनवरी 2019

मैं तेरी यादों में भटकता हूँ


मैं  तेरी  यादों  में  भटकता हूँ
तू  मेरी  सांसों में  महकता  है
कैसे कहूँ क्या  हुआ  है मुझको
दिल थोड़ा कुछ ज्यादा धड़कता है


देखकर तुझको  मचल गया था
चलते - चलते  बदल  गया था
तभी  तभी खुद  को  भूला था  
फेफड़ा खुशियों  से भर गया था


भूल  जाता  हूँ  अपना  आजकल
फ़क्त तू ही याद आती  आजकल
यदि  यही  है  प्रेम  तो गजब है
खोया खोया खुश हूँ बहुत आजकल


तुम भी चाहती हो मुझे सुनकर
दिल उछलने लगा है रह-रहकर
भेंट होगी कब इसी उलझन में
धीरे से  बोले  अधर संभलकर


बेचैनियों  में  अब तो मज़ा है
प्रेम एक मीठी सी तो सजा है
खुद की नजरों में हुआ दुलारा
मुझ  में भी आ  गई अदा है


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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