यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 22 जनवरी 2019

ये क्या कम कि


ये क्या कम कि नाम हुआ है
कहे कि वह बदनाम हुआ है

मात पिता सेवा में जुटा जो
सचमुच चारो धाम हुआ है

मतलब वाले यार जो छूटे
समझो अच्छा काम हुआ है

अच्छा काम किये चुपचाप जो
यश उसका गुमनाम हुआ है

जिसका संग्रह बेईमानी से
उसका चैन हराम हुआ है

मर्यादा के लिए लुटा जो
आगे चलकर राम हुआ है

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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