यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 16 जनवरी 2019

बहस होती है


बहस  होती  है बहुधा  बेकारों में
वैसे  हो  जाती  बातें  इशारों में

जीने की खातिर संस्कृति जरूरी है
झूठे  भी  होते  खुश  त्योहारों में

वक्त है गर बुरा  खुशी रो देती है
सूखते   पेड़   देखे   बहारों   में

बात नीयत की है कुछ भी हो सकता है
डोली  को   लुटते   देखा  कहारों

है जो साहस तो कुछ भी असंभव नहीं
पेड़   को   उगते   देखा  दीवारों  में

सौदे  में  कोई रिश्ता न चलता  पवन
अपनों  के  हाथ  बिकते  बाजारों  में


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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