यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 4 सितंबर 2018

नेह की बाती जलायें

















नेह  की  बाती जलायें
द्वेष का दीपक बुझायें
जिंदगी कब धोखा दे दे
आओ अपनापन जतायें

लोक  हैं  हम लोक गायें
ना  बुराई ,  राग   गायें
अपनों  की  पहचान है ये
विपदा में  सब साथ आयें

हर   तरफ   आलोचनाएँ
कुछ प्रशंसा हम  ले आयें
नीले - नीले  बादलों  में
काले – काले  मेघ  लायें

वीरता   के   गीत  गायें
क्यों  डरे  बाहर को आयें
बढ़   गयी  दुर्गन्ध  गर्मी
आओ हम  चन्दन लगायें

दुःख   के बोझे  फेंक आयें
सुख के  तृण को पास लायें
रोना कब तक भाये किसको
धीमे  ही  पर  गीत  गायें

सब भुलाकर  साथ आयें
सबका ही सब भला चाहें
तब बनेगी मनुष्यता जब
एक स्वर  कल्याण गायें  

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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