यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

बारिश


रोम - रोम  पुलकित   हो उठा
जागा   यौवन  पाकर  बारिश
अधरों पर फिर प्यास बढ़ गयी
उर में भी फिर बारिश - बारिश


यौवन  की  लपटें झट बढ़कर
फिर बोली जरा सुन रे बारिश
अगन लगा  के मन भड़का के
कहाँ जा  रही कामिनी बारिश


जब तक तृषा शांत नहीं होती
बस बरसे जा बारिश – बारिश
जब  भी  आती  है उसकाती
फिर  भी प्यारी पहली बारिश


प्यास जगाती  प्यास बुझाती
लगन  लगाती  है ये बारिश
अधरों  को  भी  है तड़पाती
कामदेव  सी  पहली  बारिश

  
बाहर  शीतल  अंदर गरमी
जादू  सी कर जाए  बारिश
बिन बारिश सारा जग सूना
जीवन की आधार है बारिश


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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