यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

जय माँ दुर्गे जय जगदम्बे


जय माँ दुर्गे  जय  जगदम्बे
कष्ट  निदान  करो हे अम्बे

अष्टभुजी  जग  जननी माता
तुम्हरी भक्ति भजन हूँ गाता

दीन-दयाल  दया  की सागर
पूजें तुम्हें खुद गिरधर नागर

महाशक्ति, महाकाली , माया
निर्धन अपढ़ पे कर दो दाया

उग्रा , उमा , अजा  हे माता
शोक हरो तुम हो   सुखदाता

कामाक्षी , कालिका  व काली
भद्रा ,  भवानी   व   काली

नाम  अनंत  तुम्हारे   माता
सुख  समृद्धि  सभी की दाता

पूजा  अर्चन  अधम न  जाने
तुम  हमरी  बस तुमको जाने

कृपा  करो  जगदम्बा  गौरी
योगिनी  सिंहस्थ  परमेश्वरी

अपराजिता , अपर्णा ,  जननी
भक्ति का वर दो माँ पंचाननी

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com





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