रूप का खेल ही प्रेम होता नहीं
है वो आकर्षण प्रेम होता नहीं
प्रेम तो दो दिलों
का है पावन मिलन
प्रेम यूं ही किसी
से भी होता नहीं
चेहरे से प्रेम
जिनका शुरू होता है
चेहरा ढलते ही वो
प्रेम कम होता है
होता है ये मिलन जिस्म
की भूख का
भूख मिटते ही सब कुछ
मलिन होता है
प्रेम का रंग गहरा
बहुत होता है
आख़िरी साँस तक संग
ये होता है
डरने मरने ये
ही बचाता हमें
प्यार का रिश्ता ऐसा
सघन होता है
तुम ही पहले तुम्हीं
आख़िरी प्यार हो
तुम ही तो जिन्दगी
के मेरे यार हो
मुझको अपनाओ या
त्याग दो तुम मुझे
तुम ही सब कुछ मेरे
मेरे संसार हो
तेरे दिल में ही अब
घर बसायेंगे हम
तेरे बिन ना जियेंगे
मर जायेंगे हम
वरना रह जायेंगे हम
आवारा यूं ही
तू कह दे फ़कत मर
जायेंगे हम
पुष्प तू मैं भ्रमर
तू जहाँ मैं वहाँ
प्रेम का तो फलक है
ये सारा जहाँ
डर, हवस, दुश्मनी
प्रेम में पहलू है
फिर भी चलता रहा
प्रेम का कारवाँ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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