प्रणय के बहु गीत
गाये
हास्य खूब विनोद
गाये
लोक रंजक लोक के भी
खूब सारे गीत गाये
देश की खातिर लुटे
जो
देश की खातिर मिटे
जो
उनकी भी कभी याद आयी
देश की खातिर पिटे जो
हमें राष्ट्र धर्म
निभाना है
जय जय हो उसकी गाना
है
भगत सिंह,सुभाष,
शेखर के
सपनों का राष्ट्र
बनाना है
बलिदान की बातें करो
अभिमान की बातें करो
जोश भर दो राष्ट्र
में
सम्मान की बातें करो
राष्ट्र गीत भी गाओ
कुछ
शहीदों पे गीत सुनाओ
कुछ
संकल्प लो प्रेरणा भरो
इस राष्ट्र की खातिर
भी कुछ
राष्ट्र हित सबसे है
ऊँचा
शेष सारा हित है
दूजा
राष्ट्र पर सब हो समर्पित
चतुर्दिक जय हिन्द
गूँजा
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक - poetpawan50@gmail.com
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