यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 23 सितंबर 2018

छात्र मैं मेरी तुम विद्यालय


छात्र हूँ मैं मेरी तुम विद्यालय
तुम आयी  गृह  हुआ देवालय
मेरे  ह्रदय  की  तुम देवांगना
पावन हो  गया उर का आलय

जितने शोक थे असमय मर गये
द्वेष सभी  तत्क्षण मरघट गये
थे  जीवन  में   जो  अवरोधक
तुम  आयी  सब अपने घर गये

हर्ष  ने  डेरा  डाला घर में
सारे  माणिक  जैसे कर में
महादेव  की कृपा है लगती
जैसे  पाया  हूँ तुम्हें वर में

मेरी भी  कुछ  हस्ती हो  गयी
अच्छी  सी गिरहस्ती  हो गयी
बरबस  गीत  उठे  अधरों  पर
प्रभु की कृपा थी वृष्टि हो गयी


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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