यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 18 सितंबर 2018

तू धरती सी मैं बादल सा













तू धरती सी मैं बादल सा
तू दीपक सी मैं काजल सा
नैनों में तेरे लग जाऊँ तो
मान बढ़े मेरा आंचल सा

मैं अनगढ़ सा तू मूरत सी
मैं शरीर सा तू सीरत सी
तुझ बिन मेरी कल्पना कोरी
मैं हूँ नाम सा तू कीरत सी

मैं आवारा ,  तू स्थिर सी
मैं हूँ अभी और तू चिर सी
तुझ में ही मैं निज को देखूँ
तू मेरे जीवन में रुचिर सी

तू सरिता तेरा प्रवाह मैं
तू कविता तेरी वाह मैं
मेरी सब अभिलाषा तू है
तू गन्तव्य है और राह मैं


पवन तिवारी 
संवाद - ७७१८०८०९७८
अणु डाक - poetpawan50@gmail.com 



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