तू धरती सी मैं बादल
सा
तू दीपक सी मैं काजल
सा
नैनों में तेरे लग
जाऊँ तो
मान बढ़े मेरा आंचल
सा
मैं अनगढ़ सा तू मूरत
सी
मैं शरीर सा तू सीरत
सी
तुझ बिन मेरी कल्पना
कोरी
मैं हूँ नाम सा तू
कीरत सी
मैं आवारा , तू स्थिर सी
मैं हूँ अभी और तू
चिर सी
तुझ में ही मैं निज
को देखूँ
तू मेरे जीवन में
रुचिर सी
तू सरिता तेरा
प्रवाह मैं
तू कविता तेरी वाह मैं
मेरी सब अभिलाषा तू
है
तू गन्तव्य है और राह
मैं
पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८
अणु डाक - poetpawan50@gmail.com
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