यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 5 अगस्त 2018

प्रात दोपहर संध्या रात



प्रात दोपहर संध्या रात
चारो  प्रहर  बात ही बात
ये तो तब है जब सुखमय सब
बरना बिगड़े हर इक बात

हिन्दू, मुस्लिम सिख इसाई
प्रेम की ना कोई होती जात
प्रेम का रोग लगे चुप्पे को
फिर देखो करे कितनी बात

धन संग स्वास्थ्य मिला है जिनको
उनका  हर दिन  होता ख़ास
बुरा समय चलता हो जिनका
उनके  लिए तो दिन भी रात

जिसकी नहीं कल्पना की है
वह  भी  तो  हो  जाता है
समय तुम्हारा अच्छा है तो
सपनों से अधिक मिल जाता है

जीवन को जी सकता वही है
जो  भी विषम में सम होगा
हाय - हाय से  घुटेगा केवल
होनी  से  ना  कम   होगा

खुशियों का बस एक ठिकाना
कुछ भी हो पर सुर में गाना
खीझ  के बुरा समय भागेगा
गाओगे खुशियों  का  तराना

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
  

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