यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

ज़िंदगी में सभी के तो गम आये हैं














ज़िंदगी  में सभी के  तो  गम  आये हैं
किसके ज्यादा किसी के तो कम आये हैं
ये  ढलना , ये  चढ़ना  भी  है ज़िन्दगी
थोड़े  अपवाद  जो  छम -  छम आये हैं

जो  संभलते  हुए  हर  कदम आये हैं
गम खुशी में भी रहते जो सम आये हैं
वे  ही  लम्बे  सफ़र के मुसाफिर बने
सच की राहों में जिनके कदम आये हैं

 जो  मक्कारी  से, लूट  धन आये हैं
कितने  मजलूमों के लूट मन आये हैं
ऐसे  पूरे  सफर   में  परेशान  रहें
जीते – जीते भी जीवन ये मर आये हैं

बिन इज़ाज़त ही हम तेरे घर आये हैं
ज़िंदगी  प्यार  दे, तेरे  दर  आये हैं
जैसे  तूँ  चाहती  वैसे  जी लेंगे हम
तेरा  होने  को ही हम सनम आये हैं

हम  भी तेरे लिए इस नगर आये हैं
प्रेम  की खोज  में ही इधर आये हैं
हम  तो कब से तलाशे हैं साथी सही
शुक्र  है सच्चे कुछ हमसफर आये हैं


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com

  



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