ज़िंदगी में सभी के तो गम आये हैं
किसके ज्यादा किसी
के तो कम आये हैं
ये ढलना , ये चढ़ना भी है ज़िन्दगी
थोड़े अपवाद जो छम - छम आये हैं
जो संभलते हुए हर कदम आये हैं
गम खुशी में भी रहते
जो सम आये हैं
वे ही लम्बे सफ़र के मुसाफिर बने
सच की राहों में जिनके कदम आये हैं
जो मक्कारी से, लूट धन आये हैं
कितने मजलूमों के
लूट मन आये हैं
ऐसे पूरे सफर में परेशान रहें
जीते – जीते भी जीवन
ये मर आये हैं
बिन इज़ाज़त ही हम
तेरे घर आये हैं
ज़िंदगी प्यार दे, तेरे दर आये हैं
जैसे तूँ चाहती वैसे जी लेंगे हम
तेरा होने को ही हम सनम आये हैं
हम भी तेरे लिए इस
नगर आये हैं
प्रेम की खोज में ही इधर आये हैं
हम तो कब से तलाशे
हैं साथी सही
शुक्र है सच्चे कुछ
हमसफर आये हैं
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें