इस क़दर प्यार से डर
ठहर जाइए
प्यार तो करिए थोड़ा
निखर जाइए
बात ये बात वो, कहना
ये कहना वो
अटकेंगे कब तलक,
प्यार पर जाइए
शाम में, बाद में ,
मैं बताता हूँ कल
ये है क्या कहिये
हाँ या मुकर जाइए
दिन गुजर ही गया रात
होने को है
आप से होगा ना , आप
घर जाइए
देख लूँगा , करूँगा ,
ये हो जाएगा
या तो चुप रहिये या
कर गुज़र जाइए
जो बुरी लगती है
जिन्दगी ये पवन
दोस्ती कीजे या , जीत कर जाइए
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail
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