उठो समय मत व्यर्थ
गँवाओ
जीवन को उत्कर्ष
बनाओ
यूँ ही जय - जयकार न
होती
सत्य कर्म उद्दात बनाओ
जीवन तो प्रतिक्षण
है घटता
पर इच्छा का बोझ है
बढ़ता
ताल मिला जो समय की
गति से
तब ही जीवन पर्व है
बनता
लालच पुष्प तो
प्रतिदिन आता
ईर्ष्या ,पाप को संग ये लाता
जब धैर्य को धारण कर पाए
तब शनै – शनै है धर्म
आता
जब धैर्य, धर्म संगी होंगे
फिर सही मार्ग
पर हम होंगे
जीवन के पुष्प खिलेंगे तब
तब सच्चे मानव
हम होंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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