यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 21 अगस्त 2018

अच्छों से पंगे लेता है




अच्छों से पंगे लेता है बेकार में अक्सर
अच्छी बात कहता है बकवास में अक्सर

जब भी बुलाऊँ उसको तो आता नहीं है वो
आता है बिन बुलाये कुछ आस में अक्सर

अब की किया मतदान वो बेकार न होगा
हर बार गलत होता हूँ सरकार में अक्सर

मैं कह भले जाता हूँ हो पाता नहीं तटस्थ
मैं फँस ही जाता हूँ पराये ख़ास में अक्सर

वैसे तो दिखाता “पवन” उसमें बड़ी अना
झुकते हुए देखा उसे , दरबार में अक्सर

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें